Monday, 29 February 2016

आम बजट में पीएफ से जुड़े इस प्रस्ताव से नौकरीपेशा लोगों को लगेगा झटका

नई दिल्ली: इस बार के आम बजट में 1 अप्रैल, 2016 से कर्मचारी भविष्य निधि की आंशिक निकासी पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया गया है। केंद्र सरकार के इस कदम से देश के करीब छह करोड़ वेतनभोगियों को झटका लग सकता है।

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा, 'पेंशन के पैसों और ईपीएफ सहित मान्यता प्राप्त भविष्य निधि का 40 प्रतिशत हिस्सा टैक्स फ्री रहेगा। यह नियम 1 अप्रैल, 2016 या उसके बाद से ईपीएफ में योगदान से तैयार कॉर्पस पर लागू होगा।'

विशेषज्ञों ने एनडीटीवी प्रॉफिट को बताया कि अभी पांच साल की लगातार नौकरी के बाद कर्मचारी भविष्य निधि की निकासी पूरी तरह से आयकर मुक्त है, लेकिन नए नियम के तहत कर्मचारियों को ईपीएफ से निकाली गई कुल राशि के 60 फीसदी हिस्से पर इनकम टैक्स देना होगा। बाकी के 40 फीसदी पर टैक्स नहीं लगेगा।

विश्लेषकों के मुताबिक, ईपीएफ निकासी पर टैक्स कर्मचारियों के टैक्स स्लैब के आधार पर लगाया जाएगा। ईपीएफओ के पास करीब 6 करोड़ सदस्य के साथ करीब 6.5 लाख करोड़ रुपये की निधि है।

केपीएमजी में वैश्विक मोबिलिटी सेवा कर विभाग के राष्ट्रीय प्रमुख परिजाद सिरवाला कहते हैं, 'इस कदम का मकसद लंबी अवधि के रिटायरमेंट उत्पादों पर कर निर्धारण को एक समान करना है... यह 1 अप्रैल 2016 के बाद किए गए योगदान पर लागू होगा।'

विश्लेषक मानते हैं कि सरकार के इस कदम का मकसद यह है कि वेतनभोगी वर्ग रिटायरमेंट फंड में अपने निवेश को कायम रखे और बाद में अपने पेंशन की रकम को ऐसे प्रॉडक्ट्स में डाल दे, जिससे उसे नियमित आय होती रहे।

वित्तमंत्री ने यह भी घोषणा की कि न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के निवेशकों पर भी ईपीएफ जैसा ही टैक्स ट्रीटमेंट लागू होगा। इसका मतलब है कि एनपीएस से निकासी, जो इनकम टैक्स के तहत आता है, भी आंशिक रूप से टैक्स फ्री होगी। इस तरह 60 प्रतिशत एनपीएस निकासियों पर टैक्स लगेगा, जबकि बाकी का 40 प्रतिशत कर मुक्त होगा। इस प्रावधान को भी 1 अप्रैल 2016 से ही लागू किए जाने का प्रस्ताव है।

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